![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
|
![]() | ![]() |
||||||||||||||
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() | ![]() |
||||
![]() | ![]() |
||||||||||||||
![]() | ![]() |
||||||||||||||
![]() | ![]() |
||||||||||||||
![]() |
![]() |
||||||||||||||
![]() | ![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
"Aadarsh Prem," by Dr. Harivansh Rai Bachchan annotated by Maykala Hariharan and Aditya Sachan प्यार किसी को करना लेकिन कहकर उसे बताना कया | अपने को अपर्ण करना पर और को अपनाना क्या | गुण का ग्राहक बनना लेकिन ले लेना सुगन्ध सुमनों की त्याग
अंक में पले प्रेम शिशु "Kya Bhuloon" क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं! अंगणित
उन्मादों के क्षण
हैं, याद सुखों
की आंसू
लाती, दोनों करके पछताता हूं, "Mujhe Pukar Lo" इसीलिए खडा रहा कि तुम मुझे पुकार लो! जमीन
है न बोलती
न आसमान
बोलता, इसीलिए खडा रहा कि तुम मुझे पुकार लो! तिमिर - समुद्र
कर
सकी न पार
नेत्र
की तरी, इसीलिए खडा रहा कि तुम मुझे पुकार लो! उजाड
से लगा
चुका उमीद
मैं बहार
की, इसीलिए खडा रहा कि तुम मुझे पुकार लो! |